सौराष्ट्र। बारह ज्योर्तिलिंग में से एक सौराष्ट्र के श्री सोमनाथ महादेव मंदिर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यात्रा की थी। वे वहां दर्शन करने पहुंचे थे। ऐसे में उनकी एंट्री गैर हिंदू रजिस्टर में हुई थी। अब इस मामले में भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक विवाद को तूल देना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में राहुल गांधी को लेकर तरह - तरह के सवाल उठने लगे हैं जिससे कांग्रेस की किरकिरी हो रही है। हालांकि कांग्रेस हिंदूत्व के इस तरह के प्रचार को लेकर - आओ मिलकर बनाऐं एक छुआछुत मुक्त भारत का नारा लेकर आई है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि, राहुल को कोई मंदिर में जाने से नहीं रोक सकता है और न ही प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखने से रोक सकता है। मगर अब विवाद उभरने पर कांग्रेस प्रयास कर रही है कि वह राहुल गांधी को ब्राह्मणों का समर्थक बताए। यदि ऐसा होता है तो, राहुल गांधी को साॅफ्ट हिंदूत्ववादी बताया जा सकता है लेकिन अगर नैतिकता की बात करें तो, इस पूरे विवाद ने राहुल गांधी के पाखंड का पर्दाफाश करके रख दिया गया है।
मीडिया कोआॅर्डिनेटर ने इस मामले में कहा कि, यह एक महत्वपूर्ण बात है कि, आखिर मीडिया कोआॅर्डिनेटर ने अहमद पटेल व राहुल गांधी का नाम गैर हिंदू, के रूप में दर्ज क्यों किया। हम इस बात को किस तरह से समझा सकते हैं। सवाल यह है कि, आखिर राहुल गांधी का नाम गैर हिंदू दर्शनार्थियों के रजिस्टर में क्यों दर्ज करवाया गया। इस मामले में सवाल तो कांग्रेस के नेता ही दे सकेंगे। कांग्रेस सोमनाथ मंदिर विवाद का ठीकरा बीजेपी के सिर पर फोड़ रही है।
कांग्रेस का आरोप है कि, बीजेपी की भगवा ब्रिगेड एक मामूली बात को सनसनीखेज बताकर चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि, राहुल वास्तव में हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, जैसा कि उनकी पार्टी सफाई दे रही है, तो फिर इस विवाद पर जारी बहस अब खत्म हो जाना चाहिए लेकिन, यहां सवाल धार्मिक विश्वास का नहीं बल्कि इस पूरे विवाद में राहुल के पेचीदा रुख का है
एक व्यक्ति जो प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है, उसमें नैतिक साहस की कमी नहीं होना चाहिए ऐसे व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था को लेकर स्पष्ट होना चाहिए। हालांकि यह बात भी सामने आई है कि,भारतीय संविधान देश के हर नागरिक को अपने धर्म,जाति या पंथ के मुताबिक जीवन जीने का अधिकार देता है,साथ ही यह भी अधिकार देता है कि, कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक आस्था के मुताबिक पूजाघरों इबादतगाहों का भी संचालन कर सकता है। हो सकता है कि राहुल हिंदू धर्म में विश्वास न करते हों और किसी दूसरे धर्म का पालन करते हों। या यह भी हो सकता है कि वह अपने परनाना जवाहरलाल नेहरू की तरह नास्तिक हों।
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