नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भ्रष्टाचार का पहला मामला रियल स्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) से जुड़ा है. इसके गठन के साथ ही अजय सिंह ने कहा कि बिल्डरों, राजनीतिज्ञों और स्थानीय निकायों के अफसर का गठजोड़ शुरू होता है. उन्होंने कहा कि रेरा का गठन केंद्र सरकार के भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण के अंतर्गत हुआ है, इसकी नियमावली की जानकारी प्रधानमंत्री को होगी. अजय सिंह ने मध्यप्रदेश में हुए 3 बड़े घोटाले रेरा और गरीबों, दिव्यांग बच्चों को दिए जाने वाले सरकारी गेहूं में हेराफेरी के 2 मामलों के बारे में बात कर रहे थे. अजय सिंह ने आगे लिखा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों की निगरानी में होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि न खाऊंगा न खाने दूंगा कि नीति के तहत में बिल्डरों, व्यापारियों और सरकारी अधिकारियो को गरीबो का हक़ नहीं खाने दूंगा.
प्रदेश में मई 2017 से रेरा लागू हुआ, जबकि नगर-निगम भोपाल ने अप्रैल माह में ही ऐसे सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दे दिया जो कि अधूरे ही थे. उन्होंने कहा नए कानून से पूर्ण प्रोजेक्ट बाहर थे, इसलिए अकेले भोपाल में लगभग 300 करोड़ का लाभ बिल्डरों से उठाया गया हैं.
अजय सिंह ने कहा है कि रेरा के अध्यक्ष ने सभी नगर-निगमों को रेरा कानून के तहत पूर्ण और अपूर्ण प्रोजेक्ट की जानकारी देने को कहा, लेकिन किसी ने भी उनके पत्र का जवाब तक नहीं दिया. उन्होंने पत्र में नगर-निगम भोपाल में पिछले दिनों हुए 200 करोड़ के डीजल घोटाले का भी जिक्र किया.
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