नई दिल्ली। मालेगांव बम धमाके को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई की। हालांकि न्यायालय ने इस मामले में कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर निर्णय को सुरक्षित रख लिया। कर्नल पुरोहित को लेकर उनके वकील हरीश साल्वे ने बताया कि अभिनव भारत संगठन की बैठक में कर्नल पुरोहित गए जरूर थे, मगर उन्हें राजनीतिक क्राॅसफायर का शिकार बना दिया गया। हरीश साल्वे द्वारा कहा गया कि एनआईए सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर न करे जब तक पुरोहित को अंतरिम जमानत न मिल जाती हो।
कहा गया कि वे सेना के लिए इंटेलिजेंस का कार्य करते थे। मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि न्यायालय ने आर्मी रिपोर्ट पर गौर नहीं किया। वे तो 8 वर्ष से जेल में बंद हैं। इस मामले में एनआईए ने जमानत का विरोध किया और कहा कि कर्नल पुरोहित को जमानत देने का वाजिब कारण नहीं है, उनके खिलाफ कई सबूत हैं और उनका मामला साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से अलग है।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने माना कि वे बम के निर्माण में भी शामिल रहे हैं। दूसरी ओर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका रद्द करने की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई की। हालांकि इस मामले में न्यायालय ने तारीख को आगे बढ़ाते हुए सुनवाई 10 अक्टूबर को करने का निर्णय लिया।
उल्लेखनीय है कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में मारे गए युवक के पिता ने जहाॅं बॉम्बे हाईकोर्ट के जमानत देने और मकोका प्रावधान हटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है वहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जमानत याचिका दायर की है।
हमारे खून में है, कानून तोड़ना और न्यायालय की अवमानना करना
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