नवरात्री पर्व इस साल 21 सितम्बर से प्रारम्भ होने वाला है. इसमें हम नौ दिन तक माँ दुर्गा के सभी रूपों की पूजा करते है. इन नौ दिनों हर घर में हर गली और पूरे देश में पर्व की तरह मनाया जाता है. पूरे देश में इसकी धूम देखने को मिलती है. वैसे तो भारत में अनेक रंग है. या यूँ कहे के ये भारत रंगीला देश है. इसके नक़्शे में भी कई रंग देखने को मिलते है. हर राज्य भी अपनी एक अलग विशेषता के साथ अलग रंग में दिखाई देता है. लेकिन इन नौ दिनों में देश का रंग मुख्यतः लाल होता है. पूरे देश में माता को बैठाये जाने वाले पंडालों का रंग भी लाल ही होता है. कन्याओं को भोज के समय भी लाल चुनरी ओढ़ाई जाती है. बता दे कि इन नौ दिनों में माँ के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करने और आस्था के भाव के लिए माता के भक्त नौ दिन के व्रत रखते है.
आइये जाने के कब से शुरू होते है ये नौ दिन के व्रत-
नवरात्री में माता की मूर्ति घर-घर में नहीं बैठाई जाती हैं. इसलिए लोग माँ की स्थापना के रूप में कलश की स्थापना करते है. और कलश की स्थापना के बाद माता की आरती की जाती है. और उन्हें भोग लगाया जाता है. बता दे की इस बार सुबह 6:30 बजे से 8 बजे तक का समय शुभ है. इस दौरान कलश की स्थापना करना शुभ होगा. साथ ही बता दे कि कलश की स्थापना के साथ ही व्रत रखा जाता है. इसमें पूजा के बाद से व्रत प्रारंभ हो जाता है. कई लोग ये व्रत पूरे नौ दिन के लिए रखते है और कई सिर्फ पहले और आखरी दिन व्रत रखते है, चुकि आज की व्यस्त ज़िन्दगी के साथ दवाइयों और बीमारी के चलते नौ दिन व्रत रख पाना संभव नहीं होता. लेकिन माँ के प्रति अपनी अपार श्रद्धा के लिए वो पहला और आखरी व्रत रखते है.
माँ के प्रति भक्ति में व्रत करने के लिए भक्त कई नियमो से व्रत करते है. इसमें कुछ भक्त 9 दिन तक नंगे पैर रहते है. कुछ नौ दिन तक सिर्फ फलाहार ही करते है. लोगो के मन में अपार श्रद्धा से उन्हें नौ दिन इन नियमो का पालन करने में शक्ति मिलती है. व्रत के दौरान उन्हें किसी प्रकार की कमज़ोरी महसूस नहीं होती है. भक्त रोज़ की तरह ही अपने काम करते है. और माता के प्रति उत्साह भी ऊंचा होता है. रोज़ माँ की आरती के बाद ही फलहार करते है. माता के जयकारे के साथ भक्ति में शक्ति का एहसास होता है.