नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद के लोकसभा सदन में उपस्थितों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 9 अगस्त ऐसी अवस्था में था, इतना व्यापक आंदोलन था, जिसकी कल्पना अंग्रेजों ने तक न की थी. उन्होंने जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया के नामों का स्मरण किया, और कहा कि इतिहास की ये घटनाऐं हम लोगों के लिए एक नई प्रेरणा है. और युवाओं ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में अलग अलग पड़ाव हुए. 1942 की घटना एक तरह से अंतिम व्यापक जन संघर्ष था. इससे स्वाधीनता के लिए देशवासियों को समय का इंतजार था. जब हम आजादी के आंदोलन को देखते हैं तो 1942 में एक पीठिका तैयार हो गई.
उन्होंने 1930 के डांडी मार्च, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समर्पण, चंद्रशेखर आजाद, चाफेकर बंधु का उल्लेख किया. उन्होंने देशवासियों को यह विचार दिया कि अब नहीं तो कभी नहीं. जिसके कारण 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से देश का बच्चा बच्चा जुड़ गया था. अंतिम स्वर में बात आई भारत छोड़ो. महात्मा गांधी के मुॅंह से निकलने वाला शब्द करेंगे या मरेंगे एक अजूबा था .उन्होंने कहा कि सभी को अपने को एक स्वतंत्र महिला या पुरूष समझना चाहिए सभी को इस तरह से कार्य करना चाहिए मान लो वे स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा था हम करेंगे या मरेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बापू ने अहिंसक आंदोलन पर जोर दिया था। जब समाज के सभी वर्ग जुड़ गए तो उन्होंने कहा कि जब कभी भी देश उठ खड़ा होता है और लक्ष्य निर्धारित होता है तो बेड़ियाॅं चूर चूर हो जाती हैं और माॅं भारती आजाद हो जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्रांति की ज्वाला देशभर में धूधूकर जल रही थी। जनता ने करो या मरो के गांधीवादी मंत्र को अपने जेहन में बैठा लिया था। उस समय की एक पुस्तक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ जो ज्वाला धधकी थी उसका केंद्र भारत बन गया था। कोई भी भारतीय इस बात के लिए गर्व कर सकता है कि भारत के आजाद होने के बाद एक के बाद एक उपनिवेश आजाद होते चले गए। कुछ ही वर्षों में दुनिया के कई देशों ने आजादी प्राप्त कर ली।
यह बताता है कि भारत की प्रबल इच्छा शक्ति कितनी कारगर थी। हम एक होकर देश को नए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए तैयार कर सकते हैं यह इतिहास ने बताया है। उन्होंने राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता का उल्लेख किया और कहा कि जहाॅं गांधी जी की दृष्टि टिक जाती थीं वहां करोड़ों करोड़ आॅंखें देखने लग जाती थीं। हालांकि आज हमारे पास गांधी नहीं हैं लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ हम सांसद बैठे हैं जो मिलकर उन सपनों को पूरा करने का प्रयास करें तो मैं मानता हूॅं कि स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के सपनों को पूरा करना कोई मुश्किल काम नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1942 के उस दौर और मौजूदा दौर में कुछ समानता लिए हम विश्व के सामने हैं। विश्व को हम एकजुट होकर बता सकते हैं कि समस्याओं के खिलाफ हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक, सामाजिक या व्यक्तिगत भ्रष्टाचार हो उसके खिलाफ हम काम कर सकते हैं कल किसने क्या किया इसे सोचने का समय बहुत हो गया। गरीबी आदि समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ मसलों पर हम काम कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि छोटी छोटी घटनाऐं हिंसा की ओर ले जा रही हैं। उन्होंने चिकित्सालयों में चिकित्सक को पीटने बात का हवाला दिया।
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