मणिपुर के हेड कांस्टेबल हीरोजीत सिंह ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों की ओर से किए जा रहे फर्जी एनकाउंटर की शिकायतों पर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर फर्जी एनकाउंटर होते हैं. वह खुद साल 2003 से 2009 के दौरान कई फर्जी एनकाउंटर में शामिल रहे हैं.
हीरोजीत ने सूप्रीम कोर्ट में फर्जी एनकाउंटर से संबंधित एफिडेविट सौंपे हैं. वह सीनियर अधिकारियों के आदेश संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पाए. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर (PLA) के उग्रवादी संजीत मैती की हत्या के बारे में हीरोजीत सिंह ने बताया कि, "मैंने अपने सीनियर अफसर (इंफाल के तत्कालीन एएसपी) के ऑर्डर पर पीएलए उग्रवादी के सीने में गोली दागी थी." हीरोजीत के मुताबिक, इस एनकाउंटर की जानकारी मणिपुर के डीजीपी और मुख्यमंत्री को भी थी. हिरोजित ने बताया कि वह पहले भी यह एफिडेविट दाखिल करना चाहते थे परंतु तब वकीलों ने उन्हें डराया कि इससे उनके बचने की संभावना कम हो जाएगी.
हालांकि यह एफिडेविट दाखिल करने के बाद उन्हें डर है कि उनकी हत्या की जा सकती है. पहले भी उन्हें एक्सिडेंट में मारने की कोशिश की गई और उनकी हत्या की धमकी भी दी गई. हिरोजित ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मामले में सीबीआई से जांच की अपील की, तो सीबीआई ने इसे ठुकरा दिया. हीरोजीत ने अपने एफिडेविट में मिसींग 3 या 4 डायरियों का पता लगाने की अपील की है, जिसमें उन्होंने हर फर्जी एनकाउंटर की डिटेल लिखी थी.
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