आज के समय में एकल पेरेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है, सिंगल पेरेंट होने के पीछे भी कई कारण है. इसका एक कारण करियर भी है. करियर के खातिर आए दिन डायवोर्स के केसेस भी बढ़ते जा रहे है. इतना ही नहीं लिव इन रिश्ते के कारण भी सिंगल पेरेंटिंग को बढ़ावा मिल रहा है. देखा जाए तो अकेले होना कोई बुरा नहीं है, किन्तु सिंगल होने के कारण समस्याओ से निपटने में थोड़ी मुश्किलें पेश आती है. सिंगल पेरेंट की अपने बच्चो को लेकर कई चिंता होती है. सिंगल पेरेंट बच्चे की परवरिश अकेले भी कर सकते है, किन्तु अकेले रह कर आर्थिक दिक्कतों का सामना भी कम नहीं होता है.
बच्चे को अकेले संभालना, बच्चे की अच्छी परवरिश करना, बच्चे की फरमाइशों को पूरा करना, बच्चे के सवालों के जवाब आदि सिंगल पेरेंट्स को मुश्किल में डाल देता है. जब किसी व्यक्ति का डायवोर्स होता है, उसे खुद उस दुःख से उबर कर बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार देना मुश्किल में भी डाल सकता है.
ऐसा भी होता है कि कई बार अकेले बच्चे की परवरिश करते-करते किसी साथी की तलाश जरूरत बन जाती है, जिससे अपनी बातें, अपने इमोशंस को विश्वास कर बांटा जा सके. सिंगल पेरेंट्स को अपने बच्चे को अधिक से अधिक समय देना चाहिए.
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