सेंसर बोर्ड ने मेवाड़ राजघराने के एक सदस्य से निवेदन किया है कि वे उस पैनल में बतौर सदस्य शामिल हों जो ‘पद्मावती’ में दिखाए गए एेतिहासिक तथ्यों की जांच कर रहा है. जाने-माने फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र दिया जाए या नहीं, यह सरकार को मेवाड़ राजघराना बताएगा.
सीबीएफसी के प्रमुख प्रसून जोशी ने मेवाड़ राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह को इसी गुरुवार को एक पत्र भेजकर उस पैनल में बतौर सदस्य शामिल होने का निवेदन किया जिसमे ‘पद्मावती’ में दिखाए गए एेतिहासिक तथ्यों की जांच चल रही है.
जिसके जवाब में शुक्रवार को विश्वराज ने भी जोशी को पत्र लिखकर कहा कि वे यह प्रस्ताव उसी समय मानने या न मान पाने की स्थिति में हाेंगे जब कुछ मसलों पर उनके सामने स्थिति स्पष्ट कर दी जाए.
उन्होंने बताया, "मैं जानना चाहता हूं कि यह फिल्म आखिर किस शैली में है. यह पूरी तरह काल्पनिक कहानी पर आधारित मनोरंजक सिनेमा है या ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित गंभीर फिल्म.
वैसे जिस तरह से फिल्म को प्रमाण पत्र देने से पहले इतिहासकारों का पैनल की जांच-परख कर रहा है उससे यह सिद्ध होता है कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है. इसमें मेरे परिवार के सम्मानित पूर्वजों के नाम का इस्तेमाल किया गया है. ऐसी घटनाएं दिखाई गई हैं जो इतिहास में हो चुकी हैं. यह सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि ऐसे किरदारों का चित्रण हैं जो काफी अहम हैं."
राजपूत संगठन का आरोप है कि इसमें रानी पद्मिनी के किरदार का चित्रण ठीक ढंग से नहीं किया गया. उनके मुताबिक इसमें उनसे संबंधित कुछ दृश्य ऐसे शामिल किए गए हैं जो उनकी गरिमा के प्रतिकूल हैं और यह ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ भी है.
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