मैला ढोने वाली महिलाओं ने दिखाया आक्रोश
मैला ढोने वाली महिलाओं ने दिखाया आक्रोश
Share:

मैला ढोने को एक सामाजिक अभिशाप माना जाता है और 2013 में मैला ढोने की प्रथा को बैन कर दिया गया है, इसके बावजूद बुंदेलखंड में ये प्रथा जारी है. मिला उठाने वाली ऐसी सैकड़ों महिलाओं ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में विधानसभा सभा के बाहर दलित अधिकार और स्वाभिमान मार्च के बैनर तले प्रदर्शन किया.बुंदेलखंड के जालौन से आईं महिलाओं ने अपने सिर पर मैला ढोने वाली टोकरी उठाकर बड़ा बैनर लेकर प्रदर्शन किया, इस बैनर पर लिखा था कि आखिर कब हमें मैला ढोने से मुक्ति मिलेगी.

मुख्यमंत्री से मैला ढोने की प्रथा से मुक्ति दिलाने की मांग करते हुए बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के संयोजक कुलदीप बौद्ध ने कहा कि “बुंदेलखंड में दो सूखी रोटी पर आज भी सैकड़ों महिलाएं मैला ढोने को मजबूर हैं. जालौन जिले के दो ब्लाक महेबा और कदौरा में 276 महिला मैला ढोने का काम कर रही है. सरकार ने इस प्रथा को बैन करके पुर्नावास की बात कही. ”

उन्होंने कहा, “इस पुनर्वास के तहत जो भी सुविधाएं कही गई है, वो नहीं मिल रही हैं. इसी के चलते बुंदेलखंड के जालौन जिले की सैकड़ों मैला ढोने वाली महिलाएं अपनी मांगों को लेकर लखनऊ आई हैं. हमारी मांग है महिलाओं को मैला ढोने से रोका जाए और उनके लिए स्थाई आवास, रोजगार की व्यवस्था की जाए और साथ ही उन्हें पांच एकड़ जमीन दी जाए. ”

रेलमंत्री का आधी रात में रेलवे स्टेशन का दौरा

3 माह के बच्चे के शरीर में ट्यूमर के बजाय मिला भ्रूण

100 हाथियों के झुण्ड का आतंक

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
Most Popular
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -