नई दिल्ली /उज्जैन : कभी -कभी छोटी सी नासमझी के कारण कोप का भाजन बनना पड़ता है .ऐसे ही एक मामले में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की प्रबंधन समिति को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई. दरअसल इस समिति ने पूजा के नए नियमों को अदालत का आदेश बताकर बोर्ड लगा दिए थे .साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी खुलासा कर दिया कि पूजा-पद्धति से कोर्ट का कोई लेना-देना नहीं है .
उल्लेखनीय है कि महाकाल मंदिर की शिवलिंग के क्षरण (आकार छोटा होने) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने बोर्ड की फोटो देखकर कोर्ट ने कहा हमने पूजा कैसे हो इसे लेकर कोई आदेश नहीं दिया .शिवलिंग के क्षरण मुद्दे पर कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर सहमति व्यक्त करना आदेश देना नहीं होता.अदालत ने तुरंत बोर्ड हटाने को कहा.जिसका पालन कर मंदिर प्रबंधन समिति ने गुरुवार सुबह 11.40 बजे मंदिर परिसर में लगे सारे बोर्ड हटा लिए.
बता दें कि कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद भी महाकाल मंदिर में पूजा की नई व्यवस्थाएं लागू रहेंगी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद मंदिर समिति ने शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए लागू व्यवस्थाएं जारी रखने की बात कही. जिसके तहत महाकाल का अभिषेक RO के पानी से ही होगा.एक श्रद्धालु आधा लीटर जल चढ़ाएगा,पंचामृत भी सवा लीटर होगा . इसके अलावा भस्म चढ़ाते वक्त शिवलिंग को कपड़े से ढंकने, शिवलिंग पर चीनी नहीं रगड़ने ,5 बजे बाद जल नहीं चढ़ाने और रासायनिक कुमकुम, गुलाल भी नहीं चढ़ाने के नियम लागू रहेंगे.
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