इस बार दस नहीं बल्कि ग्यारह दिन मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी
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जब भी किसी शुभ काम की शुरुआत होती है तब कहा जाता है, शुभ काम में देरी कैसी है, आओ श्रीगणेश करे. गृह प्रवेश के समय में भी भगवान गणेश की पूजा की जाती है, साथ ही सबसे पहला आमंत्रण पत्र उन्हें दिया जाता है. विवाह होने से पहले भी वर-वधु भगवान गणेश के सामने आमंत्रण पत्र दे कर नई जिंदगी शुरू करने के लिए उनका आशीर्वाद लेते है. भगवान गणेश की लीला अपार है, उनके जन्म तिथि को बहुत हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है. हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह उत्सव शुरू होता है. गणेश चतुर्थी पर पहले दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को घर में स्थापित किया जाता है, नौ दिन तक लगातार उनकी पूजा अर्चना की जाती है और दसवें दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

किन्तु इस वर्ष यह पर्व कुछ और साथ लाया है, जी हां इस बार नौ दिन नहीं बल्कि उनकी प्रतिमा दस दिन के लिए घर में स्थापित कर पूजा की जाएगी. इसका कारण यह है कि इस वर्ष दो दशमी तिथि पड़ रही है, इस बार 31 अगस्त और 1 सितंबर दोनों ही दिन दशमी तिथि रहेगी. महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की धूम ज्यादा रहती है, यहां जिस तरह भगवान गणेश का स्वागत किया जाता है, पूरे देश में ऐसा स्वागत कही नहीं किया जाता है.

भगवान गणेश जी को स्नेह से गणपति बप्पा पुकारा जाता है. जब घर में उन्हें स्थापित किया जाता है तब विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. उन्हें मोदक बहुत पसंद है, इसलिए पूजा के बाद मोदक का ही उन्हें भोग लगाया जाता है. स्थापना के समय गणेश जी के सामने मुख्य रूप से पांच तरह की चीजे 11 या 21 पान के पत्ते, अक्षत, रोली या गुलाल, बुक्का और नारियल के साथ एक कलश रखा जाता है. आज के समय में गणेश चतुर्थी के लिए इकोफ्रेंडली गणेशा की प्रतिमा को घर में स्थापित किया जाता है. यदि आप विसर्जन के समय होने वाले जल प्रदूषण को रोकना चाहते है तो भगवान गणेशा की प्रतिमा फूलो से भी बना सकते है. चाहे तो मिट्टी से भी गणेशा की मूर्ति बना सकते है. मावा लाकर घर में ही गणेशा की मूर्ति बनाई जा सकती है. मछली के दानों से भी प्रतिमा तैयार की जा सकती है, पानी में विसर्जित करते समय सहूलियत रहेगी. मिट्टी के गणेशा कैसे बनाया जाए, इसका तरीका आप वीडियो में देख सकते है.

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