नईदिल्ली। आपको जानकर आश्चर्य हो रहा होगा कि, भारत के गंभीर और बड़े हादसों में से एक भोपाल में हुई गैस त्रासदी के इतने वर्षों बाद भी पीड़ितों को राहत नहीं मिल पाई है। हालात ये है कि, भोपाल के वायुमंडल में फैली विषैली गैस मिथाइल आइसोटाईल के दुष्प्रभाव से कई लोग टीबी, कैंसर, लकवा, प्रजजन संबंधी परेशानियों, बच्चों की शारीरिक और मानसिक परेशानियां बढ़ गईं। इतने वर्षों बाद, जब पीड़ितों के परिवारों की तीसरी और चौथी पीढ़ियां तक जन्म लेकर जीवन व्यतीत कर रही हैं। 1 दिसंबर 1984 को जब यह हादसा हुआ तो सभी के रौंगटे खड़े हो गए। जो लोग भोपाल की यात्रा कर शहर से बाहर निकल चुके थे, उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा किया और, जो लोग इस हानिकारक गैस के प्रभाव में आ गए, उनकी पीड़ियां आज तक ईश्वर से स्थितियां ठीक होने की प्रार्थना करती हैं। ऐसे में इन परिवारों को राहत और रोजगार दिलवाने की बात सामने आती है। आज भी यूनियन कार्बाइड के मालिक वाॅरेन एंडरसन के भारत से विदेश चले जाने और, फिर हाथ न आने की चर्चाऐं जोरों पर हैं। हालांकि अब तो हादसे को लेकर, बहुत वर्ष बीत चुके हैं लेकिन, जब कभी उन लोगों के बीच इस हादसे को लेकर चर्चा होती है जो, इसके प्रत्यक्षदर्शी थे। तो वे भयावह मंजर को याद कर गमगीन हो जाते हैं। अब तो हालात ये हैं कि, जिस यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी में यह रिसाव हुआ था, उसके नजदीक का एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हुआ था। मिली जानकारी के अनुसार, भोपाल ग्रुप फाॅर इन्फाॅर्मेशन एंड एक्शन बीजीआईए ने वर्ष 1990 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। फैक्ट्री परिसर के समीप के रहवासी क्षेत्रों में सप्लाय होने वाला पानी आज भी, इस रिसाव के प्रभाव से दूषित हो गया है। जब इस तरह के जल की जांच की गई तो कई हानिकारक तत्व पानी में घुले हुए पाए गए। जिनमें बेंजीन, आॅक्सीबिस, डाइक्लोरोबेंजीन, ट्राइक्लोरोबेंजीन, फ्लथैलेट्स, पाॅलीन्यूक्लियर एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, नेफ्थालेनाॅल व ट्राइमिथइल ट्राइएंजिन्ट्राॅएन पाया गया है। जानकारों का मानना है कि, ये रसायन बेहद हानिकारक हैं। जो कि, लीवर व किडनी को प्रभावित करते हैं। भोपाल गैंगरेप मामला विधानसभा तक पंहुचा भसनेरिया ने शिवराज को थमाया नोटिस सड़क दुर्घटना: कार की स्टेयरिंग में फंस कर मौत