डोनाल्ड ट्रंप नहीं चाहते हैं अमेरिका में सेना रखने का खर्च उठाना, कर रहे नीति में बदलाव

न्यूजर्सी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अफगानिस्तान को लेकर अपनी नीति की घोषणा की। इस दौरान सैनिकों की तादाद बढ़ाने व सक्रियता को वृहद करने के संकेत तक दिए गए। इस मामले में पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी गई। अफगानिस्तान को लेकर भारत से अपील की गई है कि वह आतंकवाद के मसले पर अफगानिस्तान को सहायता दे। हालांकि भारत पहले से ही आतंकवाद के मसले पर अफगानिस्तान, अमेरिका और अन्य देशों के साथ सहयोग की बात करता रहा है।

संभावना जताई गई है कि ट्रंप द्वारा अपनी सेना को अफगानिस्तान से हटाने और युद्ध को समाप्त करने का कहने से एशिया में कुछ परिवर्तन हो सकता है। हालांकि चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति की बात पर सहमति नहीं जताई है। चीन ने अपने स्टेट काउंसलर चिशी के माध्यम से कहा है कि पाकिस्तान की संप्रभुता को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। चीन का कहना था कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए अपने देश में बड़ा बलिदान दे चुका है।

इसके उलट अमेरिका के विदेश मंत्री रैक्स टिलरसन ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका से फंड लेता है, नाटो फोर्स और अफगानों को मारने वाले अतिवादियों को पैसेज प्रदान करता है। हालांकि अपनी ताजपोशी की शुरूआत में आतंकवाद की खिलाफत करने वाले ट्रंप के इस निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि अब ट्रंप भारत पर अफगानिस्तान में आतंकरोधी कार्रवाई करने या अफगानिस्तान की मदद करने का दबाव बना रहे हैं। जबकि वे स्वयं इस मामले में खर्च वहन नहीं करना चाहते हैं।

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