यहाँ सालो से सड़क पर है शिक्षा का मंदिर

मिर्जापुर : बेहतर शिक्षा से बेहतर शख्स बनता है और बेहतर शख्स देश की बेहतरी में भागीदार होता है. मगर इस सब के उलट मिर्जापुर में एक स्कूल है दस साल से सड़क पर चल रहा है. आयशा 70 बच्चों पर इकलौती अध्यापिका है. समस्या के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों से शिकायत कि गई मगर अधिकारी मौके पर आते हैं और देख कर चले जाते हैं.

विद्यालय की अकेली महिला अध्यापिका आयशा ने बताया कि जब सड़क पर कोई गाड़ी आती है तो स्कूल की दाई के साथ वह बच्चों को हटा देती हैं और गाड़ी गुजरने के बाद दुबारा बच्चे वही बैठ कर पढ़ना शुरू कर देते हैं. आयशा के अनुसार उनकी मजबूरी है कि बारिश के मौसम या फिर कोहरे में स्कूल को बंद कर दिया जाता है. इन मौसमों में सड़क पर बैठा कर बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती है, फिर भी कोई सुध लेने वाला नहीं है.

मिर्जापुर नगर के मध्य स्थित रामआग मोहल्ले में बैरिस्टर यूसुफ बेसिक प्राइमरी पाठशाला के बच्चे और अध्यापक सड़क पर बैठकर पढ़ने और पढ़ाने को मजबूर हैं. स्कूल के अध्यापक ब्लैक बोर्ड को सड़क पर ही लगा कर बच्चों को पढ़ाते हैं. जगह न होने के कारण बच्चों के लिए बनने वाला मिड डे मील का भोजन भी सड़क पर ही बनता है. स्कूल खत्म होने तक दोनों दाईं सड़क के किनारे बैठ कर पढ़ रहे बच्चों कि सुरक्षा करती हैं.

 

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