आज हम बात कर रहे है नेशनल स्पोर्ट डे की. जी हां हम बताने जा रहे है "देश के खेल का दुनिया से मेल" जो सिर्फ मनोरंजन तक ही सिमित ना रहकर यह देश की बदलती तस्वीर बन रहा है. जो उभरते भारत की नयी उम्मीद कायम कर रहा है. हम बात कर रहे है गली में बच्चो द्वारा लड़ झगड़कर खेले जाने वाले उन छोटे छोटे खेलों की, जिन्होंने उनके बचपन को मनोरंजन से भरा, तो उम्र के साथ साथ खेलों के इस जूनून ने ना सिर्फ खिलाडी की किस्मत चमकायी बल्कि दुनिया में खेलों ने देश का भी नाम रोशन किया. फिर वह हॉकी के मेजर ध्यानचंद से लेकर वर्तमान में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का ही नाम क्यों ना हो. भारत देश हमेशा से ही खेल जगत में आगे रहा है. फिर वह हॉकी हो, क्रिकेट हो, पैरालम्पिक हो, कुश्ती हो, बैडमिंटन हो या फिर अन्य सभी अंतर्राष्ट्रीय खेल, जिसमे जहा जितनी पुरुषो की भागीदरी रही है उससे कही ज्यादा महिलाओ ने अपने देश का नाम रोशन किया है. भारतीय पुरुष खिलाड़ियों के साथ-साथ महिला खिलाड़ियों ने भी पूरी दुनिया को यह दिखा दिया है कि उनकी बाजुओं में लोहा भरा हुआ है. इनमे साइना नेहवाल, एमसी मैरीकॉम, सानिया मिर्जा, साक्षी मलिक, दीपा कर्मकार हो या फिर दीपा मलिक इन्होने कभी भी अपनी परेशानियों को अपनी मज़बूरी नहीं बनने दिया और खुद से ज्यादा देश के लिए डटी रही. यही नहीं ऐसे कई अनगिनत नाम है जिन्होंने विदेशी धरती पर तिरंगा फहराया है. खेल, मनोरंजन के साधन और शारीरिक दक्षता पाने के माध्यम के साथ-साथ लोगों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने और उनके बीच के संबंधों को अच्छा बनाने में भी सहायता करता है. और इसी उद्देश्य से आज के इस दिन को नेशनल स्पोर्ट्स डे के रूप में मनाया जाता है. किन्तु यह दिन देश और दुनिया को यह बताने का दिन है कि हम किसी से कम नहीं है. चाहे वो क्रिकेट हो, हॉकी हो या फिर अन्य खेल का मैदान, भारत ने कभी पीछे हटना नहीं सीखा. शायद हम खेलों के महत्व और खिलाड़ियों के जूनून को पूरा बता नहीं पाएंगे. ऐसे अनगिनत लेख भी शायद भारत में खेलों के महत्व को बताने के लिए कम पड़ जायेंगे. क्योकि भारत देश खेलों का देश है. गली में खेलने वाले उस छोटे से बच्चे को शायद यह भी पता नहीं रहता होगा कि यह खेल एक दिन गली का खेल ना होकर देश का खेल बन जायेगा. जिसमें देश की तस्वीर बदलने का मौका मुझे यहखेल देगा. किन्तु इस बात का सिर्फ इतिहास ही नहीं अपितु वर्तमान भी गवाह है कि खेलों में देश ने हर चुनौती का डटकर मुकाबला किया है. भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने कभी यह नहीं सोचा कि मेरे मैदान में जाने पर लोग क्या कहेंगे, साक्षी मलिक, साइना नेहवाल, एमसी मैरीकॉम, सानिया मिर्जा,ने भी लोगो की उन बातो को अनसुना किया होगा जिसमे लोगो ने उनसे ना खेलने के लिए कहा होगा. वही देश में पैरालम्पिक खिलाड़ियों ने कभी भी यह नहीं सोचा होगा कि हम कुछ नहीं कर सकते है. वक्त के साथ यदि देश बदला है तो देश में खेलों का महत्व भी बदला है. जिसमे खेलों ने ना सिर्फ भविष्य उज्जवल किये है, अपितु देश की तस्वीर को बदलकर रख दिया है. क्योकि भारत ने "देश के खेल का दुनिया से मेल" करवाया है. नहीं रहे फुटबॉल खिलाड़ी अहमद खान..! भारत की बेटी बैडमिटन खिलाडी पीवी सिंधु जब रोक नहीं पाई अश्रु धारा जब भारत के इस बल्लेबाज ने 72 गेंदों पर 300 रन बना डाले थे भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ियो ने KBC में जीते 6.4 लाख रूपये