कानपुर. उत्तरप्रदेश पुलिस का फिर एक दरिंदगी भरा किस्सा सामने आया है. यूपी के सजेती थाना क्षेत्र के भाद्वारा गाँव में झूठे गोकशी के मामले को कबूल कराने के लिए पुलिस ने एक मुस्लिम युवक शहंशाह के साथ निर्ममता दिखाई. शहंशाह मजदूरी करके अपने घर आया और किसी बात को लेकर पिता जाकिर हुसैन से उसकी बहस हो गई. तभी वहां से गुजर रहे कुआखेड़ा चौकी इंचार्ज ब्रिजेश भार्गव बिना किसी कारण उसे मारते हुए चौकी ले आए. यहाँ जबरन गोकशी की हामी भराने के लिए सिपाहीयों ने रात भर उसे बिना कपड़ों के हाथ पैर बांध कर रखा और मारते रहे. यही नहीं झूठा जुर्म कबुलवाने के लिए साडी हदें पर करते हुए उसके कान औऱ नाखून को प्लास से नोंचकर लहूलुहान कर दिया. पुलिस ने 10 हज़ार रुपये लेकर भी उसे नहीं छोड़ा. शहंशाह ने कहा कि “जेल भेजने से पहले पुलिस ने मेरा मेडिकल भी कराया था, लेकिन जब मैं सिविल जज जूनियर डिविजन घाटमपुर के समक्ष पेश हुआ था तो मुझे 15 दिसंबर को जमानत मिली.” वकील राज कुमार शर्मा के मुताबिक, “पुलिस ने शंहशाह को फर्जी तरीके से चाकू लगाकर जेल भेजा था, जबकि उसका कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं है. शंहशाह के मेडिकल में छह गंभीर चोटों के निशान थे.” भारतीय किसान यूनियन फिर उग्र आंदोलन की तैयारी में ऊर्जा संरक्षण के प्रयासों में जयपुर पहले पायदान पर सऊदी में अब ट्रैफिक की कमान महिलाओं के हाथ