हिन्दू सभ्यता में हवन या यज्ञ का बहुत महत्व होता है. कुण्ड में अग्नि के माध्यम से देवता के समक्ष अपनी श्रद्धा पहुँचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं. आपको बता दे कि हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ की आहुति दी जाती है. शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि यदि आपके आस पास किसी बुरी शक्ति की उपस्थिति है, तो हवन प्रक्रिया इससे आपको मुक्ति दिलाती है. वही किसी भी शुभकामना, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए भी हवन किया जाता है.
हवन के विज्ञान-सम्मत लाभ-
भारतीय संस्कृति में बनाये गए नियम ऐसे ही अर्थहीन नहीं होते, इनका वैज्ञानिक तर्क होता ही है. लेकिन कई बार हम इससे अनजान रह जाते है. बता दे कि पूजा-पाठ और हवन के दौरान उत्पन्न औषधीय धुआं हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करता है. जिससे बीमारी फैलने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है. साथ ही लकड़ी और औषधीय जडी़ बूटियां जिनको आम भाषा में हवन सामग्री कहा जाता है, इनको साथ मिलाकर जलाने से वातावरण मे जहां शुद्धता आ जाती है वहीं हानिकारक जीवाणु 94 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते हैं. वही इस औषधीय धुएं का वातावरण पर असर 30 दिन तक बना रहता है और इस अवधि में जहरीले कीटाणु नहीं पनप पाते.
नवरात्री में ऐसे करे हवन -
नवरात्रि के पावन पर्व पर मां की प्रसन्नता हेतु किसी भी दुर्गा मंदिर के समीप सुंदर मण्डप व हवन कुंड स्थापित करके पंडित से हवन करवाए. और श्री दुर्गा सप्तशती का दस बार पाठ करवाएं. हवन से पहले हवन सामग्री ले आये. और कुंड तैयार करे, जिसमे हवन कर के आहुति दी जा सके. नवरात्री में हवन करवाने से माता प्रसन्ना होती है. और भक्तो पर माता का आशीर्वाद बना रहता है.
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