कम खर्च मेँ और एमरजन्सी में इलाज का नया कानून

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हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा है कि राज्य सरकार जल्द ही केंद्र के क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट क़ानून को लागू करेगी जिसमे हर मेडिकल संस्थान का डिजिटल रजिस्टर बनाना और इलाज में होने वाले खर्च की सीमा तय करना शामिल है. नेशनल काउंसिल के एडीडीजी डॉक्टर अनिल कुमार के मुताबिक़ ''इस क़ानून के ज़रिए सरकार पूरे देश में एक जैसी स्वास्थ्य सेवाएं और सुविधाएं मुहैया कराना चाहती है. केंद्र सरकार, राज्य के साथ मिलकर बीमारियों और कार्यकलापों के खर्च की एक सीमा बना सकती है.''

डॉक्टर कुमार बताते हैं कि ''क्लीनिक और अस्पतालों के लिए साफ़ तौर पर शुल्क की घोषणा करना ज़रूरी है. इससे फ़ायदा ये होता है कि अगर एक अस्पताल किसी इलाज के लिए एक लाख का खर्च दिखा रहा है लेकिन दूसरा पच्चीस हज़ार में ही करने के लिए तैयार है तो मरीज़ों को पता लग जाता है कि कौन ग़लत पैसे ले रहा है.'' साथ ही इस कानून का एक और फायदा बताते हुए डॉक्टर कुमार ने कहा, ''अगर कोई इमरजेंसी की हालत में किसी अस्पताल या क्लीनिक पहुंचता है तो प्राथमिक मदद मुहैया करवाना उस अस्पताल, क्लीनिक वगैरह के लिए ज़रूरी है. भले ही मरीज़ के पास पैसे न हों. कोई इलाज करने से मना नहीं कर सकता.''

उनके मुताबिक, ''इलाज भी तब तक दिया जाना ज़रूरी है जब तक मरीज़ की हालत स्थिर न हो जाए. ऐसा ना करने पीआर मरीज़ ज़िला मजिस्ट्रेट के पास शिकायत कर सकता है.''

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