ताज की खूबसूरती बढ़ाने के लिए की गई सारी कवायदों के बीच अब ताज के पीलेपन को दूर करने के लिए स्टीम बाथ दिया जा सकता है. इसके पहले मडपैक (मुल्तानी मिट्टी का लेप) से ताज के पीलेपन को दूर करने की कोशिश हुई थी, लेकिन पर्यटकों के हाथ का मैल पत्थरों के अंदर तक पहुंच जाने के कारण यह उतनी कारगर सिद्ध नहीं हो पाई. इसे देखते हुए अब स्टीम बाथ का सहारा लिया जाएगा.
पर्यटक ताज के पत्थरों पर होने वाली नक्कशी को छूकर देखते हैं, इससे उनके हाथ में लगा पसीना और तेल पत्थरों से चिपक जाता है. 'आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया' की साइंस यूनिट के अनुसार स्टीम बाथ में छोटे किस्म के फव्वारे से गर्म पानी और एक खास तरह का साबुन का मिश्रण, तेज बौछार से ताज के पत्थरों पर छोड़ा जाएगा. गर्म पानी और तेज बौछार के कारण पानी पत्थरों के अंदर जाकर मैल को फूला देता है और मेल धीरे-धीरे बाहर आने लगता है.
साइंस यूनिट के अधिकारी बताते हैं कि “लेजर थैरेपी भी ताज के पत्थरों पर लगी मैल साफ करने में काम आ सकती है, लेकिन ये एक खतरनाक थेरेपी है. लेजर इस्तेमाल करने से सफेद संगमरमर का पत्थर कमजोर हो सकता है और इससे भविष्य में भी पत्थर को नुकसान पहुंच सकता है.” गौरतलब है कि स्टीम बाथ से संसद भवन को चमकाने का काम पहले से ही चल रहा है. रोम के कैथोलिक चर्च को निखारने ले लिए भी स्टीम बाथ का इस्तेमाल हुआ है.
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