इस्तांबुल। फलस्तीन की राजधानी के तौर पर, यरूशलम को मान्यता देने के मामले में इस्लामी नेताओं ने अपील की है। इस मामले में फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, अमेरिका को शांति प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरूशलम को इस्त्रायल की राजधानी बनाए जाने पर अमेरिका की घोषणा की गई थी। अब इस मामले में, मुस्लिम राष्ट्रों की ओर से समन्वित प्रतिक्रिया जाहिर करने की अपील की गई है। इस तरह के मतभेद होने के चलते, सम्मेलन में इस्त्रायल व अमेरिका के विरूद्ध ठोस प्रतिबंध लगाने को लेकर, सहमति बन गई है।
हालांकि, पूर्वी यरूशलम को फलस्तीन की राजधानी घोषित किया गया हैं इस्लामी राष्ट्रों से अपील की गई थी कि, वे इस घोषणा का समर्थन करें। इस्लामिक राष्ट्र में विभिन्न तरह के मतभेद होने के कारण, विभिन्न तरह के सम्मेलन में इस्त्रायल और अमेरिका के विरूद्ध कड़े प्रतिबंध लगाने को लेकर सहमति नहीं बनी। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि, यदि यरूशलम को राजधानी की मान्यता दी जाए तो फिर, आतंकवाद की घटनाऐं बढ़ सकती हैं।
दूसरी ओर फलस्तीन के पूर्वी क्षेत्र को हम चाहते हैं तो फिर, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इस्त्रायल की ओर से कब्जा माना जाता है तो फिर एर्दोआन ने इस्त्रायल को आतंकवाद से परिभाषित होने वाला देश बताया है। इस मामले में अब्बास ने कहा है कि, यरूशलम पर अमेरिका द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद, अब अमेरिका इस्त्रायल और फलस्तीन के मध्य शांति प्रक्रिया में मध्यस्थ की भूमिका खो चुका है। इस सम्मेलन में कहा गया कि, यरूशलम, फलस्तीन की राजधानी है और यह सदैव राजधानी रहेगी। शांति प्रक्रिया के लिए, यरूशलम की शक्ति बढ़ाने की जरूरत है।
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