नईदिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाॅन्च किए गए मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के कारण रक्षा मंत्रालय को एक बड़ा लाभ हुआ है। जानकारी सामने आई है कि, इस प्रोजेक्ट के कारण रक्षामंत्रालय के लगभग 1 लाख करोड़ रूपयों की बचत हो गई है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि, विदेशों से आयात होने वाले रक्षा उपकरणों में सरकार को धन काफी कम खर्च करना पड़ रहा है। इससे धन की बचत हो रही है। जानकारी सामने आई है कि, बीते तीन वर्ष में देश ने तीन रक्षामंत्री देखे हैं, जिनमें पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के मौजूदा मुख्यमंत्री मनोह पर्रिकर, केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली और मौजूदा रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हैं।
मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के कारण भारत लगभग 6 एयर डिफेंस, एंटी टैंक मिसाइल प्रोजेक्ट पर शानदार तरह से कार्य हुआ है। डीआरडीओ ने इस योजना को गति देने में महत्वपूर्ण कार्य किया है। अब शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एअर मिसाइल जो कि, नेवी और सेना के लिए, उसके अलावा क्विक रिएक्शन सर्फेस टू एअर मिसाइल,आर्मी के लिए और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का निर्माण भारत में ही हो सकेगा। मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के कारण एसआरएसएम प्रोजेक्ट में लगने वाले बड़े धन के निवेश को सीमित करने में भारत को सफलता मिली। इसकी कीमत करीब 30000 करोड़ रुपए तक आंकी जा रही थी। जिसके बाद डीआरडीओ ने शॉर्ट रेंज की एअर डिफेंस मिसाइल बनाने का प्रस्ताव दिया था।
इसके लिए पहले विदेशों में निर्माण की डील तय की जानी थी,मगर मेक इन इंडिया के प्रभाव के कारण यह कार्य भारत में ही हो पाएगा। डीआरडीओ में काम होने से देश के खजाने का काफी पैसा बचा है।
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