एकीकृत कर व्यवस्था का दूसरा नाम जीएसटी

एकीकृत कर व्यवस्था का दूसरा नाम जीएसटी
Share:

GST का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) है.  ये एक ऐसी कर व्यवस्था है जिसके लिए गंभीर कोशिश 2003 से ही शुरू हो गई थी.1954 में फ्रांस ने इसे सबसे पहले लागू किया और आज इसे दुनिया के 150 से ज्यादा देश लागू कर चुके हैं. इसे 1947 के बाद सबसे बड़ा कर सुधार (टैक्स रिफॉर्म) माना जा रहा है. जीएसटी को पहले एक अप्रैल 2016 से लागू करने का प्रस्ताव था लेकिन इसे 1 जुलाई 2017 को समारोहपूर्वक लागू किया गया.

अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखें तो बीत रहा 2017 का यह साल आजादी के बाद 70वें साल में भारत में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के कारण अहम हो गया.जिसने देश को एकीकृत बाज़ार में तब्दील कर दिया. जीएसटी लागू करने में हालांकि व्यापार और उद्योग को कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा.लेकिन अंततः अर्थ व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है .

बता दें कि जीएसटी की यह नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था, भारतीय बाजार को एकीकृत करती है. इसके तहत केंद्र और राज्यों के 17 तरह के अप्रत्यक्ष कर और 23 तरह के सेस को मिलाकर एक कर लागू किया गया है. हालांकि कर की दर एक नहीं है. अभी विभिन्न तरह के सामान और सेवाओं पर मुख्य रुप से 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से कर लगाया जाता है जबकि सोने-चांदी जैसे बहुमूल्य धातुओं के लिए 3 फीसदी की विशेष दर है. साथ ही मोटर वाहनों और लग्जरी सामान पर 28 फीसदी के ऊपर सेस भी लगाया जाता है. इसमें एक नई सुविधा इनपुट टैक्स क्रेडिट की दी गई है.

जीएसटी परिषद - जीएसटी काउंसिल केंद्र और राज्यों की मिली जुली संस्था है जो जीएसटी के दर, नियम आदि पर फैसला करती है. काउंसिल के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होते हैं, जबकि वित्त राज्य मंत्री, 29 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली व पुड्डूचेरी) के मनोनीत मंत्री सदस्य होते हैं. काउन्सिल में मतदान का भी प्रावधान है जिसके तहत केंद्र के पास एक तिहाई और राज्यों के पास दो तिहाई मत है, जबकि फैसला तीन चौथाई मत से होगा. दूसरे शब्दों में कहें तो ना तो केंद्र और ना ही राज्य मिलकर अपनी मनमानी कर सकेंगे.

जीएसटी परिषद् ने 6 माह बाद बड़े पैमाने पर पुनर्मूल्यांकन कर 1,200 सामानों में से 50 को शीर्ष 28 फीसदी कर की सूची में रखा जिन्हें लक्जरी श्रेणी की वस्तुएं मानी जाती हैं.गत माह परिषद की बैठक में कई उपभोक्ता सामानों पर जीएसटी टैक्स में कटौती की गई. जिसमें चॉकलेट, च्यूइंग गम, शैम्पू, डियोडरेंट, शू पॉलिश, डिटरजेंट, न्यूट्रिशन ड्रिंक्स, मार्बल और कॉस्मेटिक्स शामिल हैं.लेकिन तेल और गैस समेत पेट्रोलियम पदार्थो को अभी भी जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है, वहीं रियल एस्टेट क्षेत्र को भी जीएसटी के अंतर्गत रखने का मुद्दा लंबे समय से लंबित है.

हालाँकि जीएसटी के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई, लगातार पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सिंतबर) के दौरान तेजी दर्ज की गई और यह 6.3 फीसदी पर रही.जीएसटी से नवंबर माह में कुल कमाई करीब 81 हजार करोड़ रुपये की रही है.जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 18 जनवरी को दिल्ली में बुलाई गई है. उम्मीद है कि इस बैठक में जीएसटी से घट रही कमाई को लेकर चर्चा की जाएगी. भारतीय अर्थ व्यवस्था के उतार -चढाव के बीच विश्व बैंक ने इस साल के आरम्भ में की गई घोषणा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैकिंग 30 पायदान बढ़ गई और देश इस मामले में शीर्ष 100 देशों में शामिल हो गया.

 यह भी देखें 

संशोधित एमआरपी का स्टीकर लगाने की अवधि बढ़ी

जीएसटी के कारण जयपुरी रजाई की गर्माहट गायब

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -