नईदिल्ली। अधिवक्ताओं की बढ़ती फीस को लेकर, सर्वोच्च न्यायालय परेशान हो गया है। न्यायालय ने इस मामले में कहा है कि,फीस बढ़ने के चलते वे लोग जो गरीब हैं, उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में आदेश और लाॅ कमिशन की रिपोर्ट का उल्लेख किया था। जो न्यायाधीश इस मामले में अपनी बात कह रहे थे। उन्होंने सरकार से कहा है कि, सरकार को वकीलों की बढ़ती फीस को लेकर नियम लागू करना चाहिए। साथ ही तीन साल से अधिक समय तक लंबित मामलों को लेकर वकीलों को निलंबित किया जाना चाहिए।
इस मामले में न्यायाधीश आदर्श के गोयल और यूयू ललित की बैंच ने कहा है कि, अधिक फीस ली जाना पेशेवरतौर पर गलत है। लाॅ कमिशन की रिपोर्ट में वकालत हेतु, नियामक निकाय का सुझाव दिया गया है जिससे, उक्त पेशे में जवाबदेही तय हो सके। न्यायाधीशों ने कहा कि, सरकार को वकालत से जुड़ी फीस को तय करने का कानून लाना था मगर, 131 वीं रिपोर्ट 1998 में प्रस्तुत की गई थी मगर, इसे लागू नहीं किया जा सका।
लॉ कमिशन की 266वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि, वकीलों के पेशेगत कदाचार के कारण भारी मात्रा में मामले लंबित हैं। मगर ऐसा नहीं होना चाहिए। कई बार हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों और अन्य कार्यों से न्यायिक कार्य नहीं हो पाने के कारण, मामलों पर सुनवाई नहीं हो पाती है।
न्यायाधीशों ने इस मामले में बार काउंसिल के संविधान में बदलाव करने की सलाह भी दी है। उनका कहना था कि, इससे समस्या का हल निकाला जा सकता है। वर्ष 1998 में पेश की गई 131 वीं रिपोर्ट का संदर्भ लेते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि, इस मामले में सरकार उचित कदम उठाए।
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