बिहार में दलित और महादलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं लगातार हो रही हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट मे भी सामने आया है कि साल 2016 में दलितों के ख़िलाफ सबसे ज़्यादा अपराध उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में हुए.
कैमूर जिले मे तो सितंबर से अब तक, पांच महादलित बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सामने आई हैं. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कमला सिंह कहती है, "बहुत छोटे-छोटे मामलों पर मसलन मूली उखाड़ने को लेकर, बकरी चराने को लेकर बीते चार महीनों में महादलित बच्चियों के साथ दुष्कर्म हुआ है. लेकिन एक महिला एसपी होते हुए भी यहां पुलिस का ध्यान सिर्फ बालू माफिया, ओडीएफ पर है."
न्याय मंच के रिंकू यादव कहते हैं, "आप देखिए कि झंडापुर के मामले में एक भी व्यक्ति सामने नहीं आया. इसकी वजह ये है कि लोगों को सरकार और प्रशासन पर भरोसा नहीं रहा. अपराधियों को ये पूरा विश्वास है कि पुलिस उनका कुछ बिगाड़ेगी नहीं." बिहार महिला समाज की अध्यक्ष सुशीला सहाय का कहना है कि, " राज्य के हर हिस्से में महिलाओं, ख़ास तौर पर दलित-महादलितों के साथ अंतहीन हिंसा लगातार बढ़ रही है. सरकार आरक्षण देकर महिला सशक्तिकरण का ढोंग कर रही है और दूसरी तरफ हर घटना के बाद हम लोग सड़क पर उतरकर संघर्ष करते है लेकिन न तो पुलिस सुनती है और न नीतीश कुमार."
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