चंडीगढ़ : डोकलाम गतिरोध की समाप्ति के बाद अब चीनी सेना सिक्किम-तिब्बत-भूटान के ट्राई-जंक्शन पर मौजूद है जिससे चिंतित भारतीय सेना ने लद्दाख में चीन के सैनिकों की घुसपैठ पर नजर रखने के लिए एक नई योजना तैयार की है वे है ऊंटों के इस्तेमाल की योजना है. सेना ने इस योजना को एक पायलट प्रॉजेक्ट की तहत युस करेंगी. जिसमें एक और दो कूबड़ वाले ऊंटों का इस्तेमाल वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त के लिए किया जाएगा. इस योजना में ऊंटों को उपयोग करने से पहले उन्हें गश्त लगाने तथा गोला-बारूद और अन्य सामान्य ले जाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. दो कूबड़ वाले बैक्ट्रियन नस्ल के ऊंट 180 से लेकर 220 किलोग्राम तक सामान ले जाने में सक्षम हैं. आमतौर पर भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गधे और खच्चर 40 किलोग्राम तक ही सामान ले जा पाते हैं. खच्चरों की अपेक्षा दो कूबड़ वाले ऊंट ज्यादा तेज चलते हैं और समतल जमीन पर दो घंटे में 10 से 15 किमी तक की दूरी तय कर लेते हैं. भारत में दो कूबड़ वाले ऊंट केवल लद्दाख के नूब्रा घाटी में पाए जाते हैं. सेना को पहले ही राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र बीकानेर से एक कूबड़ वाले चार ऊंट मिल चुके हैं. यदि सेना का पायलट प्रॉजेक्ट सफल हो जाता है तो एक और दो कूबड़ वाले ऊंटों का इस्तेमाल 12 हजार और 15 हजार फुट की ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में किया जाएगा. डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला पहले ही लेह में बैक्ट्रियन नस्ल के ऊंटों की भार वहन क्षमता पर शोध कर रही है. वह यह भी जानने का प्रयास कर रही है कि इन ऊंटों को बेहद खराब मौसम के बीच कैसे सामान ले जाने का प्रशिक्षण दिया जाए. नूब्रा घाटी में दो कूबड़ वाले करीब 200 ऊंट हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ पर दर्ज प्रकरण होगा समाप्त बांग्लादेश में सोने की तस्करी करते पकड़ाए दो भारतीय राहुल करेंगे शिमला में नेताओं से मुलाकात