नईदिल्ली। आज भारत के लिए, एक महत्वपूर्ण दिन है। दरअसल 16 दिसंबर के दिन को विजय दिवस का नाम दिया गया है। इसे विजय दिवस इसलिए कहा गया है क्योंकि, आज के दिन भारत ने पाकिस्तान के विरूद्ध लड़े गए युद्ध में एतिहासिक जीत दर्ज की थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि भारतीय सेना की वीरता के सामने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। भारत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इस युद्ध को लड़ा।
भारतीय सैन्य बल की पूर्वी कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पूर्वी पाकिसतान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। युद्ध की पृष्ठभूमि वर्ष 1971 के प्रारंभ से तैयार होने लगी थी। पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह याहिया खान ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जनभावनाओं को सैन्य शक्ति से कुचलने का आदेश दिया।
3 दिसंबर 1997 को इंदिरा गांधी ने कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित किया। इसी दौरान जानकारी सामने आई कि पाकिस्तान की वायुसेना के विमान भारतीय सीमा में दाखिल हो गए हैं और उन्होंने पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अड्डों पर बम गिराना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में इंदिरा गांधी ने आपातकालीन बैठक ली। भारतीय वायुसेना ने फील्ड मार्शल मानेकशाॅ के निर्देशन और नेतृत्व में युद्ध में दुश्मन को परेशान कर दिया।
युद्ध में आत्मसमर्पण का निर्णय पाकिस्तान की सेना पहले ही कर चुकी थी। 16 दिसंबर की सुबह जनरल जैकब ने मानेकशाॅ को संदेश भेजा कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए ढाका पहुंच जाऐं। शाम करीब 4.30 बजे जनरल अरोड़ा हेलिकाॅप्टर से ढाका पहुंचे और फिर पाकिस्तान के कमांडर नयाज़ी ने अपनी सेना के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इंदिरा गांधी ने इसके बाद लोकसभा को संबोधित किया।
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